जिनालय
जिनालय
इष्ट आराध्य का वास जहाँ होता है उसे जिनालय कहते हैं। जिसने समस्त संसार के चक्र को जीत लिया है और अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ली है उन्हें जिन कहते हैं। जिनेंद्र देव की आराधना से अनंतकालीन पाप नष्ट हो जाते हैं।
ऐसे ही भवनाशिनी, मनोज्ञ, मनोहारी अतिशयकारी 23वे तीर्थंकर 1008 श्री पार्श्वनाथ भगवान जी की प्रतिमा रेवतीरेंज इंदौर के जिनालय में विराजित है । जिनके दर्शन से कई अवरुद्ध कार्य गति को प्राप्त हुए। ऐसे श्री जी के चरणों में बारम्बार नमोस्तु करते हुए यही प्रार्थना है कि आपकी कृपा हमारे ऊपर सदैव बनी रहे ।