जैसा खावे अन्न वैसा होवे मन, जैसा पियो पानी वैसी होवे वाणी अर्थात् तन-मन को प्रसन्न बनाने के लिए जायकेदार, सुस्वादिष्ट व अहिंसात्मक भारतीय पद्धति पर आधारित व्यंजनों को बनाने की कला, पाक कला के अंतर्गत प्रतिभास्थली में छात्राओं को दी जाती है।