प्रतिभास्थली में गुरूवाणी

हिंदी का महत्व

हमारे देश में हर राज्य के पास मातृभाषाओं के रूप में अनेक भाषाओं का खज़ाना है, इन्हे जोडने में हिंदी भाषा सूत्रदार बनेगी इस लक्ष्य को केंद्र में रखकर हिंदी के गौरव इतिहास से पुनरुत्थान की यात्रा को आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के सान्निध्य में छात्राओं द्वारा दर्शाया गया।

संस्कृत संवाद

आचार्यश्री जी के मंच से भावों के माध्यम से दिल को छू लेने वाली मनमोहक भव्य प्रस्तुति। प्रतिभास्थली की छात्राओं के द्वारा प्रतिभास्थली स्कूल के बारे में संपूर्ण जानकारी बड़े ही मनमोहक तरीके से विश्व की प्राचीनतम भाषा में प्रस्तुत की गयी। पूरे संवाद में जहाँ एक ओर आचार्यश्री जी की भव्य मुस्कराहट और आशीर्वाद अनवरत वरस रहा था तो वही दूसरी ओर श्रावकगण गुरूदेव के जयकारे लगाते हुए नज़र आ रहे थे।

आचार्यश्री जी के मंच से नाट्य प्रस्तुति

मातृभाषा में शिक्षा हो इस संदेश को लेकर छात्राओं ने नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से बताया कि संवेदनशील होने वाला मनुष्य अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करता है। मातृभाषा में भावाभिव्यक्ति की भाषा को समझना और आसान होता है। अतः शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होना चाहिए।

गाय की अंर्तपीड़ा... भावाभिव्यक्ति

प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ इंदौर, की छात्राओं द्वारा गाय की अंर्तपीड़ा को प्रस्तुत करते हुए मनुष्य द्वारा दी जाने वाली यातनाओं का दृश्य प्रस्तुत किया गया एवं फास्ट फूड, नेल पालिश, लिपिस्टिक आदि के प्रयोग के लिए की जाने वाली गायों की हत्या के बारे में बताया।

गुरूवाणी